एसिड अटैक होने पर कैसे दें फर्स्ट एड
भारत में ही नहीं विदेशों में भी एसिड अटैक की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। एसिड अटैक को जघन्य अपराध की श्रेणी में रखा गया है। एसिड अटैक करने वाले लोगों के मन में कैसी मानसिकता बनती है कि वह इस तरह की घटनाओं को अंजाम देने से पहले सोचते तक नहीं कि एसिड अटैक से पीड़ित इंसान की हालत न मरने में रहती है ना जिंदे में। इलाज के बाद भी इंसान कभी अपनी पुरानी स्थिति में वापस नहीं लौट पाता।
एसिड सरवाइवर फाउंडेशन इंडिया (ASFI) के मुताबिक सन 2015 में भारत में एसिड अटैक के कुल 249 मामले दर्ज किए गए, एसिड अटैक होने पर तुरंत मेडिकल चिकित्सा उपलब्ध नहीं हो पाती ऐसे में पीड़ित व्यक्ति को राहत प्रदान करने के लिए फर्स्ट एड दिया जाना आवश्यक है परंतु ऐसी घटना होने पर आस पास खड़े लोग पीड़ित व्यक्ति की मदद करने नहीं आते और जो आते हैं उन्हें पता नहीं होता कि पीड़ित को किस तरह राहत प्रदान कराई जा सकती है।
किस तरह रोके एसिड को फैलने से
हाथ पैरों पर एसिड पड़ने पर-: जले हुए भाग पर लगातार पानी छिडकें, पानी का छिड़काव तब तक जारी रखना चाहिए जब तक कि एसिड का फैलना व जलना न रुक जाए। हालांकि एसिड डाले गए अंग पर जलन बहुत ज्यादा होती है जिसे कम होने में कम से कम 1 घंटे का समय लग सकता है इसीलिए लगातार पानी का छिड़काव जरूरी है। ध्यान रखेंं जिस पानी का इस्तेमाल आप कर रहे हैं वह साफ होना चाहिए गंदे पानी से जलन और बढ़ सकती है।
एसिड में सल्फ्यूरिक एसिड, नाइट्रिक एसिड का इस्तेमाल होने से जलन ज्यादा होती है, पीड़ित व्यक्ति पर पानी का छिड़काव करते समय सावधानी बरतें, जो व्यक्ति पीड़ित की मदद कर रहा है उसे पीड़ित से थोड़ी दूरी बनाकर रखनी चाहिए जिससे एसिड की बूंदें उस व्यक्ति को प्रभावित ना कर पायें। आसपास के क्षेत्र में भी देखें कि कहीं ऐसिड तो नहीं पड़ा है, उससे दूसरे लोगों को भी नुकसान हो सकता है।
चेहरे पर एसिड अटैक होने पर-: चेहरे पर एसिड पड़ने पर एसिड का आंखों में जाने का खतरा बढ़ जाता है, आंखों पर एसिड पड़ने पर डाइफोटेरीन से आंखों को साफ करना चाहिए, डाइफोटेरीन एक बफर सोल्यूशन है, जो एसिड और एलकनी को बेअसर करता है। 1 घंटे के अंदर ही टाइफोटेरीन से आंखों को धुल लेना चाहिए इससे आंखों को घातक नुकसान से बचाया जा सकता है।
1-: जिस अंग पर एसिड अटैक हुआ है उसे गीले कपड़े से नहीं पौछना चाहिए इससे घाव और अधिक गहरा हो जाएगा।
2-: पीड़ित को जल्दी ही अस्पताल पहुंचाने का प्रयास करें, जिस भी अस्पताल में एसिड पीड़ित व्यक्ति को एडमिट कराया गया है उस अस्पताल को पीड़ित व्यक्ति की दवाइयां, विभिन्न प्रकार के ऑपरेशन बिस्तर व भोजन की व्यवस्था फ्री में करनी होगी, अगर कोई निजी अस्पताल पीड़ित का इलाज करने से मना करता है तो राज्य सरकार उस पर कार्यवाही कर सकती है।
3-: पीड़ित के शरीर से गहने, कपड़े तथा किसी भी प्रकार की वस्तु को हटा दें जिस पर एसिड लगा हो तथा जले हुए भाग पर कोई पाउडर, लोशन या किसी भी तरह के मरहम का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, केवल जलन शांत करने के लिए लगातार पानी का छिड़काव करते रहेंं।
4-: भारतीय दंड संहिता की धारा 357 सी के तहत तेजाब हमले से पीड़ित का प्राथमिक उपचार और संपूर्ण उपचार मुक्त किए जाने का प्रावधान है, पीड़िता को पहली बार अस्पताल जाने पर अस्पताल द्वारा एक प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा जिसमें पीड़ित द्वारा मुफ्त इलाज योजना का लाभ लेने की बात लिखी होगी।








































