कविता

अभिनव कुमार – छद्म रचनाएँ – 9

थक गया हूं लड़ – लड़कर हालातों से,
दुआ करो कि अब ये आघात आखिरी हो।
आँखें हैं कि इंतज़ार में तेरे बहे जा रही हैं,
खुदा करे कि बरसात ये अब आखिरी हो । दिल कहे जा रहा है पर मन है कि समझता ही नहीं,
यदि ऐसा है तो अब ये जज़्बात काश आखिरी हों ।

अभिनव कुमार

बदतमीज़ी गर हद तक हो इजाज़त है,
जहां हद पार हुई तो फ़िर बस महाभारत है ।

अभिनव कुमार

उम्र भर की है दोस्ती आपसे,
कोई एक दिन की मोहताज नहीं,
रहेगी जब तक हैं आखिरी सांसें,
ऐसे ही आप पर हमें है नाज़ नहीं ।

अभिनव कुमार

नाराज़गी है तुम्हारी हमसे,
ख़ैर ये भी ज़रूरी है !
हम कोई फन्नेखां थोड़े हैं कि,
हमारी रज़ा से ही दूरी है ।

अभिनव कुमार

मेरा परिवार,
मेरा असली यार,
इससे ही,
मुझको है प्यार ।

अभिनव कुमार

तुम मेरे बिन,
खुश हर पल, हर दिन,
मैं तेरे बिन,
बंजर सी ज़मीं।

अभिनव कुमार

किसी में गर दिखे कमी,
तो उसको समझाइए,
यदि सब में दिखे कमी,
तो ख़ुद पर तरस खाइए ।

अभिनव कुमार

आप बेहद ख़ास हो,
एक अलग ही एहसास हो,
आप मेरा कुआं,
आप मेरी प्यास हो ।

अभिनव कुमार

“मुझको ख़ूब टटोला गया,
हर अंजर – पंजर खोला गया,
दिल की बातें कर लो ‘दो’,
कभी ये पर ना बोला गया !!

अभिनव कुमार
अभिनव कुमार एक साधारण छवि वाले व्यक्ति हैं । वे विधायी कानून में स्नातक हैं और कंपनी सचिव हैं । अपने व्यस्त जीवन में से कुछ समय निकालकर उन्हें कविताएं लिखने का शौक है या यूं कहें कि जुनून सा है ! सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वे इससे तनाव मुक्त महसूस करते…

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