कविता

मैं पथ हूँ

मैं पथ हूँ, मेरा ह्रदय छलनी मत करो मैं रोता हूँ, तुम देखने की कोशिश करो क्या गुनाह किया मैंने जो दर्द

मैं पथ हूँ, मेरा ह्रदय छलनी मत करो
मैं रोता हूँ, तुम देखने की कोशिश करो
क्या गुनाह किया मैंने जो दर्द देते हो
मैं सबका हूँ , मेरा इम्तेहान लेना बंद करो
मत समझो मुझे अकेला, मेरा खुदा है
मैं देवता हूँ मुझे पूजने की कोशिश करो

मै लेखक अजय महिया मेरा जन्म 04 फरवरी 1992 को एक छोटे से गॅाव(उदासर बड़ा त नोहर. जिला हनुमानगढ़ राजस्थान) के किसान परिवार मे हुआ है मै अपने माता-पिता का नाम कविता व संगीत के माध्यम करना चाहता हूं मै अपनी अलग पहचान बनाना चाहता हूं

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