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कविता
वो सारे जज्बात बंट गए
वो सारे जज्बात बंट गए
गिरी इमारत कौन मर गया
टूट गया पुल जाने कौन तर गया
हक़ मार कर किसी का
ये बताओ कौन बन गया
जिहादी विचारों से
ईश्वर कैसे खुश हो गया
धर्म परिवर्तन करने से
ये बताओ किसे क्या मिल गया
जाति!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
26 नवम्बर की स्याह रात ..
26 नवम्बर की स्याह रात ..
(शहीदों को श्रद्धांजलि, दिल से अर्पित पुष्पांजलि,जिन्होने दी जान, कि रोशन रहे गुलिस्ताँ,है उनको नमन, झुकाए शीश धरा गगन ।)
वो 26 नवम्बर,काला एक नंबर ।शर्मसार था अम्बर,सोया था दिगंबर ।
मुंबई थी दहली,दहशत थी!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
रीझ-रीझ कर खीझ रहा हूँ
रीझ-रीझ कर खीझ रहा हूँ ,
जब से जग में होश संँभाला ।
प्रेम पुरातन याद नहीं अब,
जब से छूटा साथ तुम्हारा ।।
हम भूले तो तुम भी भूले,
हारे की मत बाट जोहना ।
हम भी तेरे, माया तेरी ,
देर नहीं, झट मिलो मोह ना ।।
परमवीर चक्र …वीरों का पर्व
परमवीर चक्र …वीरों का पर्व …
परमवीर चक्र,जब होता ज़िक्र,सिर शान से ऊंचा,होता है फ़ख्र । 4
इक्कीस जांबाज़,को मिला ये ताज,हिन्द भाव विभोर,रक्खी जो लाज । 8
उच्च सैन्य सम्मान,त्याग व बलिदान,शूरवीरता शौर्य,वीर को!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
अजय महिया छद्म रचनाएँ – 2
वो कहने लगे हम सुनने लगेकिसको पता था वो इतना कह देंगेअरे! हम तो तन्हाइयों की गली मे बैठे थेकिसको पता था गली भी बेवफा निकलेगीअजय महिया - इश्क का राही
इश्क तेरे दरबार से तकरार न हो,, अब मै महफुज़ हूंतेरा खुदा बख्शे जिन्दगी मेरी , मै तेरे!-->!-->!-->…
सरदार पटेल की जीवनी
सरदार पटेल की जीवनी को रचना में पिरोने का प्रयास :-
सरदार पटेल,जैसे दिये में तेल,वे तेज़ गुलेल,अंग्रेज़ किए ढेर । 4
थे बहुत ही नेक,सदियों में एक,कुछ अलग चमक,था जुनून सनक । 8
गुजरात में जन्म,बचपन से ही दक्ष,थे सदैव निष्पक्ष,सटीक!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
दुल्हन थी क्या दीवाली ?
दुल्हन थी क्या दीवाली ?
(स्वरचित - अभिनव✍)
दीपावली जब बीत जाती है,एक मायूसी सी छा जाती है ।
रौनक ओझल हो जाती है,महफ़िल बेमन सो जाती है ।
सबकुछ ठहर सा जाता है,अकेलापन खाता है सताता है ।
दुल्हन जैसी थी सजी दीवाली,आज मगर!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
इस बार दिवाली ………
इस बार दिवाली ………
इस बार दीवाली कुछ अलग है,कर रही हमें ये सजग है,,दे रही उम्मीदों की झलक है,,,ज़िंदा रहने की सिर्फ़ ललक है ।
इस बार सफ़ाई नहीं प्राथमिकता,पकवानों में भी मन नहीं लगता,,वेशभूषा की और अब ध्यान नहीं टिकता,,,गहनों का भी!-->!-->!-->!-->!-->…
अभिनव कुमार – छद्म रचनाएँ – 3
गहराई …समझो तो जन्नत पाई …न मन्दिर गया, न मस्जिद गया,मैं "भीतर" गया,मैं "भी तर" गया ।न मरकर जिया,मैं "जीकर" जिया,कि मेरा भी था "जी कर" गया ।"अभि" की कलम से ✍🏻अभिनव कुमार - Dec 20
मुझको भला बुरा कहने वालों,ज़रा आईना भी तो!-->!-->!-->…
ये शाम भी ढल जाएगी
ये शाम भी ढल जाएगी …
अपने से ज़्यादा,हो दूजे का ध्यान,,यही बस करना,,,है सबको श्रीमान ।
कोशिश ना बने,कोई किसी का कैरियर,,सब्र का इम्तिहान,,,सबसे बढ़िया घर ।
तप का मौका,कर दिखाएं सब,,ख़ुद भी रहें स्वस्थ,,,औरों को भी समझाएं हम ।
जाने!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
दशहरा – कविता
दशहरा(स्वरचित - अभिनव ✍️)
सूख शांति का पर्व,हमें इस पे गर्व ।
मंगलमय वेला,आई रौनक मेला ।
हुआ मद का अंत,प्रेम गहन अनंत ।
पूरा हुआ बनवास,हुआ कुरीतियों का नाश ।
हर पल संयम,ना करुणा कम ।
करे काम नेक,और रखा विवेक!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
मेरी नहीं बनती
मेरी नहीं बनती…
मेरी नहीं बनती,ना भाई से, ना बाप से,ना तुम से, ना आप से,,
ना भाभी से, ना माँ से,ना "ना" से, ना हाँ से,,
ना फूफ़ा से, ना बूआ से,ना अनिष्ट से, ना दुआ से,,
ना मौसा से, ना मासी से,ना सौ से, ना नवासी से,,
ना साली!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
नवरात्रि
देवी के नौ रूप,आस्था की है धूप,फ़ूल है और है ये अगन,नारी शक्ति को नमन ।
पहला रूप शैलपुत्री,संभाले पर्यावरण और प्रकृति,ऑर्गानिक उत्पाद की वृद्धि,वैज्ञानिक महिला निधि ।
दूजा रूप ब्रह्मचारिणी,शिक्षा व अंतरिक्ष की यामिनी,चुनौतियों से!-->!-->!-->!-->!-->…
मै ही हूं – अजय महिया – इश्क का राही
मै ही इश्क हूं,मै ही मौहब्बत हूंमै ही प्यार और मै ही एतबार हूंमै ही नशा हूं ,मै ही नशेड़ी हूंमै ही कल हूं और मै ही आज हूंमै ही घर हूं,मै ही परिवार हूंमै ही माता और मै ही पिता हूंमै ही सूरज हूं ,मै ही चांद हूंमै ही दिन और मै ही शाम हूंमै!-->…
श्री लाल बहादुर शास्त्री …
श्री लाल बहादुर शास्त्री …
मुगलसराय ख़ुशक़िस्मत,हुई जैसे रहमत,खुल गए कपाट,अवतरित भू का लाल ।
साफ़ सुथरी छवि,आभा जैसे रवि,जन्म दो अक्टूबर,नतमस्तक अम्बर ।
आठ महीने बादपिता स्वर्गवास,ननिहाल में शिक्षा,वहीं बचपन बीता ।
सादगी से!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
टीस … देशभक्तों को सलाम
टीस … देशभक्तों को सलाम
एक मगर कुछ शिकवा है,मेरा जाने किसका है,हर पल ये कुछ रिसता है…
या फ़िर बोलूं टीस है,ना चाहत ना रीस है,तंग कर रही कोई चीज़ है…
ज़हन में चल रही उलझन है,सोच बहुत ही गहन है,भटक रहा अब ये मन है…
अंदर कुछ!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
महात्मा गांधी…अहिंसक आंधी …
महात्मा गांधी…अहिंसक आंधी …
छोटी सी कद काठी थी,हाथ में उनके लाठी थी ।
करमचंद गांधी नाम था,प्राथमिक उन्हें आवाम था ।
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शर्मसार हाथरस …
शर्मसार हाथरस …
काका हाथरसी,आज बेहद दुखी,जब होगा सुना,है दुष्कर्म हुआ ।
रोयी होगी रूह,बेटी बेआबरू,छलनी कर डाला,जीते जी मारा ।
पावन हाथरस,शर्मसार बेबस,ऑंखें झुकीं,साँसें रुकीं ।
रौंगटे हुए खड़े,कांप गई नसें,पाप खुलेआम,पूरा शहर!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
हम राम भरोसे ….
हम राम भरोसे ….
होती राजनीति,जलती अँगीठी,बस बातें मीठी,कूटनीति कुरीति ।
हों झूठे वादे,अनैतिक इरादे,मतलब के नाते,गाँठें ही गाँठें ।
थाली के बैंगन,दागी हर दामन,है प्रदूषित मन,देख रोए चमन ।
बेच डाले ज़मीर,धुंधली तस्वीर,खून हो गया!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
आप … बस आप … बेइंतिहा …
आप … बस आप … बेइंतिहा …
बड़े दिनों से,आपसे हो नहीं पाई गुफ़्तगू ।सोचा आप याद नहीं करते,मैं ही क्यूँ ना आपको याद करूं ।
दिल था बेचैन,लग रहा था कुछ अटपटा,मुझसे रहा ना गया,सोचा - किया जाए हालचाल पता ।
एक ही बात है,आपने याद किया या!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…