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कविता
सगी नहीं परायी ही सही
सगी नहीं परायी ही सही ,काश कोई मेरी भी बहन होती !!
हर बात पर चिढ़ती, हर बात पर मुझे चिढ़ाती,हर छोटी बात को बिन बात के बड़ा बनाती !मेरी हर छोटी गलती पर मुझे माँ से बचाती,कभी कभी तो बिन बात के ही डांट खिलाती !!सगी नहीं परायी ही सही ,काश कोई!-->!-->!-->…
अजय महिया छद्म रचनाएँ – 7
रात भर जागकर तेरे एक कॉल का इंतज़ार करते हैं |सारा दिन बैठ कर तुझे देखने को भी बेकरार रहते हैं ||कहीं हो ना जाए दुनिया को मेरी मोहब्बत की खबर |इसीलिए तेरे नाम को हम फोन के पासवर्ड पर रखते है ||
अजय महिया
वो याद में जगती रही ,हम जगते!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
!! तू कहे !!
!! तू कहे !!
तू कहे तो तेरे पल्लू का आंचल चुरा लू ,तू कहे तो तेरे नयनो काजल चुरा लू ,तू कहे तो तेरे कानो से बाली चुरा लू ,तू कहे तो तेरे होठों से लाली चुरा लू !!
तू कहे तो मैं बारिश रुका दू,तू कहे तो मैं बिजली गिरा दू,मान लो मेरी!-->!-->!-->!-->!-->…
विरह के दीप – कविता
खुशियों के दीप जलें हैं तुम पर हरिताभा-सी छाई है |विरहिणी की दीवार पर विरहाग्नि-सी लौट आई है ||किससे और क्यों कहें ? इस दिले चमन की दास्तां |हमने तो हर दिन और रात विरह के दीप जलाए हैं ||
दिल का ठिकाना – कविता – शशिधर तिवारी
जिसके लिए था, मुझे काजल कमाना,उसने ही बदल दिया "दिल का ठिकाना" !!!
तेरे लिए तो मैं झुका देता सारा जमाना,तू ही तो थी मेरी हर खुशियों का खजाना !!तेरे साथ ही तो था मुझे घर बसाना,आज पड़ रहा है तेरी ही डोली सजाना !!जिसके लिए था, मुझे काजल!-->!-->!-->…
मैंने देखा – कविता – शुभम शर्मा ‘शंख्यधार’
मैंने देखामैंने देखा पंछी को और तिनके तिनके को लानावो धूप के दामन में भी तिनके से नीड़ बनानादेखी है चमक आंख की और चेहरे का मुस्कानावो छूने से तलवे कोमल बच्चों का खिल खिल जाना।
मैंने देखा नमी आंख को और देखी सिकन पुरानीमैंने आंख का पानी!-->!-->!-->…
रावण – छद्म रचनाये – अभिनव कुमार
काश कि कुछ ऐसा हो जाए,रावण को सद्बुद्धि आ जाए,ख़ुद भी जिए, जीने दे दूजा,ज्ञान को सही दिशा चलाए lअभिनव कुमार
रावण को जलाने वालों,तुम क्यों रावण बन गए?अब तो ज़िद छोड़दो अपनी,अच्छे अच्छे बदल गए lअभिनव कुमार
चलो कुछ बातें करते हैं
चलो कुछ बातें करते हैं
चलो कुछ बातें करते हैं….चलो कुछ बातें करते हैं….
छोटी सी दुनिया, ख्वाब छोटे हमारेछोटे से मीठे से किस्से हमारेछोटी सी मुस्कान धरते हैं…चलो कुछ बातें करते हैं…..
छोटा है जीवन पर बड़े इरादेदूरी है ज्यादा पर!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
चुनावी मौसम
चुनावी मौसम
चुनाव का मौसम आयाजन जन पर देखो छायाहोय सूट बूट या फटा पैजामासबका मन हर्षाया
चुनाव का मौसम आयाचुनाव का मौसम आया।
देखो इलक्शन बाजों नेवोटों का रुख अपनायाहोय रंक या सेठ सेठानीसबको गले लगाया
आज है देखो शेरों नेए सी को!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
मैं भस्म करूँ क्या रावण को
मैं भस्म करूँ क्या रावण को
मैं भस्म करूँ क्या रावण को !मुझमें ख़ुद ढेरों रावण हैं,रावण तो फ़िर भी ज्ञानी था,मेरा तो मैला दामन है !
मारना है तो मारूं बुराइयों को,भर लूँ रिश्तों की खाईयों को,तब ही होगी फ़िर असली विजय,जब दग़ा ना दूँ!-->!-->!-->!-->!-->…
जबसे उसके होंठों पे देखा एक छोटा-सा तील
जबसे उसके होंठों पे देखा एक छोटा-सा तील,तबसे उसी पल से हो गया हूँ उसके प्यार में इल,तू भी करदे आज अपने प्यार को रिवील,अब से मैं ही भरूंगा तेरे मोबाइल का बिल,
जाके कह दो मम्मी और पापा से,जिनसे मिलती नहीं थी नजर मिल गया हैं "दिल" !!!
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गुरु वंदन
गुरु वंदन …
गुरु शिष्य …मनोरम दृश्य …
मुबारक हो आपको गुरु दिवस …शिष्यों में गए आप हो बस …
आपके तप का मोल नहीं है …गुरु बिन शिष्य का रोल नहीं है …
नमन है ऐसे रिश्ते को …गुरु नामक फरिश्ते को …
गुरु ही देवे अच्छी सीख …संस्कार!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
सनम बताओ ना !!
सनम बताओ ना !!
मैं खुद को अलग नहीं समझता तुम सेतुम समझती हो ऐसा.. तो बताओ नालगता है कि सदियों से नहीं देखा तुम्हेंआज बाल सुखाने फिर छत पे आओ ना
कभी आंगन को, तो कभी… छज्जे को निहारूं तेरेएक झलक दे दो… बाज़ार तक घूम आओ नातुमने छोड़!-->!-->!-->!-->!-->…
मैं तेरा ही हूँ मगर,
तेरा हो सकता नहीं
मैं तेरा ही हूँ मगर,तेरा हो सकता नहीं !!
हाथ मेहंदी का था, जब मेरे हाथ में,नजर झुकी थी मगर, कोई इशारा नहीं !तुम तो सजती हो लेकर के अंगड़ाइयां,बनकर जाओ दुल्हन ये गंवारा नहीं !!
मैं तेरा ही हूँ मगर,तेरा हो सकता नहीं !!
याद आती है!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
किंकर्तव्यविमूढ़ – कविता- ईश शाह
जब मैं कुछ नहीं करता हूँतब मुझे दोषी करार दिया जाता है।जब कुछ करूँ तो फिर मेरा क्या हश्र होगा?मैं डरता हूँ नजरों के अंधियारो सेडरता हूँ शब्दों की तलवारो सेसहमा हूँ रिश्तों के बटवारे मेंपला हूँ आँसुओ की आँखों मेंचार आँखे वाले मेरे जीवन के!-->…
अक्षी त्रिवेदी – छद्म रचनाएँ
लंबा सफ़र तय किया है जो,आज उसे अंजाम देना है,कई आशाएँ जुड़ी है हमसे,बस अब विराम देना है।अक्षी त्रिवेदी
किताबें बोलती है
किताबें बोलती है
सुना है मैने किताबें है बोलती हैंसबको राह दिखाती हैहर एक विषय में बतलाती है,मीठी बाते ताजा खबरें सामान्य ज्ञान बतलाती हैसबको एक ज्ञान बतलाती है ,हिंदी हो या चाहे अंग्रेजी सबको समान रूप में बतलाती है,सुनो जो भैया इनकी तो!-->!-->!-->…
आवाहन :( निर्गुण)
आवाहन :( निर्गुण)
ठाढ़ी झरबेरिया वन में होत मिन सार बा
कैसे जाऊँ पार पियरा नदिया के पार बा।
भोरी मतवारी तन की अब लगि कुआरि हूँ।
सगरौँ सिंगार कइली लागेला उघारि हूँ।
वहि पार.. पी. घर... यहि पार संसार बा।
कैसे जाऊँ!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
शुभम शर्मा ‘शंख्यधार’ – छद्म रचनाए – 1
वो चंद पल बदल बैठे मेरे ईमान का चेहराखड़े थे साथ सब अपने मगर था धुंध का पहराहटा जब वो समा कातिल हुआ दीदार जन्नत काखड़ा था आसमां पर मैं था सर पर जुर्म का पहराशुभम शर्मा 'शंख्यधार'
क्यों काली रातों में ही तुम मिलने आते होक्यों फटे हुए!-->!-->!-->…
“छ: वाणी”
"छ: वाणी"
छ: बोले कोई सुनो हमारीभाड़ में जाए दुनिया सारी
गोल गोल लोग मुझे घुमातेउल्टा लटकाकर नौ बतातेक्रिकेट में मुझको सिक्स बतातेविक्स एड में मुझे दिखाते।
घड़ी है जब भी छ: बजाएदोनों सुइयां सीध पे आएंडूब तब झटपट सूरज जाएकाम छोड़!-->!-->!-->!-->!-->!-->!-->…