कवितादेश

हमारा सहयोग – अभिनव कुमार

हमारा सहयोग

सरकार को दें हम सब शाबाशी,
मेहनत मशक्कत अच्छी खासी,
पूरा भारत, ना सिर्फ़ हांसी,
ना बीमारी, ना हो खांसी ।

सरकार कर रही दिल से प्रयत्न,
कोशिश ना फैले, विषाणु हो ख़त्म,
ना हों सामाजिक, ना अभी जश्न,
अपने में हो अभी हर कोई मग्न ।

सफलता तभी तीर संग जब कमान,
यानी हमारा भी हो योगदान,
बनें सजग, ना हों अनजान,
फालतू के ना करें बखान ।

हाथ मिलाने से अभी हिचकिचाएं,
ना करें आलिंगन, ना मिल पाएं बाहें,
नमस्ते करें और आंखें मिलाएं,
भाव को समझें, गुस्सा ना खाएं ।

हर एक जन रखे अभी फासला,
दूरी बनने से खतरा टला,
संक्रमण से होता ये कई गुना,
सरकार की बातें ना करें अनसुना ।

एक दूसरे को करें सजग,
स्वच्छता आदत, हो अनथक,
अपनाएं शाकाहार, ना कोई शक,
डिग्री बिन ना बनें डॉक्टर ।

अच्छी तरह से धोएं हाथ,
दूर से ही समझें जज़्बात,
बहुत ज़रूरी, तभी हो बात,
मौन रहें, बनें ख़ुद के नाथ ।

हर घंटे मिनटों में रखें सफ़ाई,
ना सिर्फ़ मालिक, ध्यान रखे बाई,
करें प्रतिज्ञा, कसम है खाई,
स्वच्छता नहीं तो जमती काई ।

थोड़े दिन हो जाएं अकेले,
बंद पार्टी, महफ़िल, मेले,
क्या हुआ जो कुछ दिन ना खेले,
मन हो वश में, लगें नकेंलें ।

सबसे मेरी यही प्रार्थना,
रखें विवेक, ना करें मना,
साफ़ सफ़ाई लें अपना,
गंदगी को दें दफना ।

माना कि विषय यह संवेदलशीन,
बात सच्ची चाहे कड़वी नीम,
हम सब समझदार, ली हुई तालीम,
ना कोई घबराहट, सावधानी हकीम ।

सरकार का परिश्रम तभी लाए रंग,
जब साथ मिलके लड़ी जाए जंग,
क्या हुआ जो कुछ दिन तंग !
कुछ अंतराल बाद फिर सब संग ।

ये वक़्त भी जाएगा बीत,
रखें सतर्कता और उम्मीद,
जाएंगे सब मिलकर जीत,
सब हैं कौशल, सब ही विनीत ।

स्वरचित – अभिनव ✍🏻

अभिनव कुमार एक साधारण छवि वाले व्यक्ति हैं । वे विधायी कानून में स्नातक हैं और कंपनी सचिव हैं । अपने व्यस्त जीवन में से कुछ समय निकालकर उन्हें कविताएं लिखने का शौक है या यूं कहें कि जुनून सा है ! सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वे इससे तनाव मुक्त महसूस करते…

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