कविताव्यंग

फ़र्क देखिए (1) बनाम (2) में ज़मीन आसमान का

फ़र्क देखिए (1) बनाम (2) में ज़मीन आसमान का :-

                        (1)

“चलो आज मुस्कुराते हैं” – तालिबानी गुनगुनाते हैं,
दहशत बड़ी फैलाते हैं, निर्दोष मारे जाते हैं,
औरतों पे ज़ुल्म ढाते हैं, आबरू भी ढहाते हैं,
वे कल को भूल जाते हैं, बस पाप ही कमाते हैं ।

                       (2)

चलो आज मुस्कुराते हैं, किसी रोते को हंसाते हैं,
मस्ज़िद नहीं हैं जाते हम, पर धर्म तो निभाते हैं,
चलो आज मुस्कुराते हैं, राह भटके को दिखाते हैं,
अपने लिए तो जीते सब, हम औरों को बसाते हैं ।

अभिनव कुमार एक साधारण छवि वाले व्यक्ति हैं । वे विधायी कानून में स्नातक हैं और कंपनी सचिव हैं । अपने व्यस्त जीवन में से कुछ समय निकालकर उन्हें कविताएं लिखने का शौक है या यूं कहें कि जुनून सा है ! सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वे इससे तनाव मुक्त महसूस करते…

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