कविता

असमंजस – अब बस …

असमंजस – अब बस …

तुम भी सही,
मैं भी सही,
ग़लत बात फ़िर,
किसने कही ?

दिल की बात,
दिल ही में रही,
मैं हूँ वही,
मैं था वही ।

ताने बाने बस,
बुनते रहे,
सिर्फ कमियां ही,
चुनते रहे ।

रही सही कसर,
गलतफहमियां खा गईं,
जाने कैसी !
रिश्तेदारी निभा गईं ।

अब भी वक़्त है,
आ जाएं आगे,
दो कदम मैँ बढूँ,
दो तेरे हवाले ।

सोच मत,
मत रुक,
रिश्तों से,
करले तार्रुख ।

अभिनव कुमार एक साधारण छवि वाले व्यक्ति हैं । वे विधायी कानून में स्नातक हैं और कंपनी सचिव हैं । अपने व्यस्त जीवन में से कुछ समय निकालकर उन्हें कविताएं लिखने का शौक है या यूं कहें कि जुनून सा है ! सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वे इससे तनाव मुक्त महसूस करते…

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