कूडे के ढेर में,
पाॅलीथीन में बंधी ,
सोचती हूॅ कि मै,
कि, सुरक्षित हूॅ।
मगर, सिर्फ धूप और पानी से।
या, तब तक , जब तक कि,
कोई जानवर मेरी गंध को
सूधंकर मुझे, नोच नहीं खाता।
फिर सोचती हूॅ कि,
यदि मै, ले लेती आकार
तो क्या,सुरक्षित रह पाती?
शायद नहीं,
पाकर मुझे अकेली,
सडक पर या कहीं और,
कोई दरिंदा मेरी देह को,
नोंच नहीं लेता?
अब सोचती हूॅ, कि क्या
लडकी केवल नोंच खाने के,
लिये ही है होती ?
लडकी की व्यथा कथा
Related Posts
कलियुग – कविता
कलियुग सब खेल विधाता रचता हैस्वीकार नहीं मन करता हैबड़ों बड़ों का रक्षक कलियुगयहां…
युवा का अब आगाज हो
युवा का अब आगाज हो युवा का अब आगाज हो,एक नया अन्दाज़ हो,सिंह की आवाज हो,हर युवा…
ना तेरा कसूर है…ना मेरा कसूर – बृजेश यादव
ये जो मदहोशी सी छायी है, तेरे हुस्न का सब कसूर है। ये जो खोया खोया सा मैं रहता…
मुझको उम्मीद…
मुझको उम्मीद… संकट की घड़ी,है आन पड़ी । है वक़्त विकट,है डर, दहशत । तू जीतेगा,गम…
कविता -मै लक्ष्मी दो आँगन की
कविता -मै लक्ष्मी दो आँगन की बेटी बन आई हूं मै जिस आशियाने के आँगन में ।बसेरा…
अभिनव कुमार – छद्म रचनाएँ – 12
उत्तम कितने भी हों विचार,सार्थक तभी जब दिखे प्रभाव,झलक दिखे गर आचरण में तो,कथनी…
चार पंक्तिया
हमने चार पंख्तियाँ क्या लिख दीं लोगों ने कवि बना दिया भरे बजार में हाले-दिल का…
मैं नहाया नहीं पिछले रविवार से
मैं नहाया नहीं पिछले रविवार से भिं भिना कर उड़ गई है मक्खी मेरे कान सेहूं नहाया…
मैं भस्म करूँ क्या रावण को
मैं भस्म करूँ क्या रावण को मैं भस्म करूँ क्या रावण को !मुझमें ख़ुद ढेरों रावण…
आदमी (कविता)
आदमी कहीं खो गया है आभासी दुनिया में आदमीझुंठलाने लगा है अपनी वास्तविकता को…
एकांत – कविता
एकांत जाने कैसे लोग रहते हैं भीड़ में,हमें तो तन्हाई पसंद आई है । अकेले बैठ के…
मजदूरों की कहानी।।
एक मजदूर की ज़िन्दगी, कुछ शब्दों में सुनानी है। ध्यान से पढ़ना, ये एक मजदूर की…
26 नवम्बर की स्याह रात ..
26 नवम्बर की स्याह रात .. (शहीदों को श्रद्धांजलि, दिल से अर्पित…
कलम – (कविता) अभिनव कुमार
कलम ✍🏻 छोटी बहुत ये दिखती है, प्रबल मग़र ये लिखती है,बड़ों बड़ों को…
फिर भी सब हरा है
शब-ए-घोर अंधियारे में ,आज करूणा-कंठ भरे हैंकठोर हृदय मृदुल हुआ,सब आँखों में नीर…
दादी कहानी सुनाओ ना !!
दादी कहानी सुनाओ ना !! दादी मां दादी मां कहानी एक सुनाओराजा रानी घोड़ा गाड़ी की…
दुनियादारी – (कविता)
उम्र के महल मे घूमती देह कोझुरियों की नजर लग गईमाथे की सिल्वटेंचिंता के सिलबट्टे…
“नाज़” – कविता
हुजूर ज़रा बचना ये इश्क़ बीमारी लाइलाज़ है टूटा हुआ शख़्स लिखता है ये उसका…
इरफ़ान ख़ान, हर दिल की जान
इरफ़ान ख़ान, हर दिल की जान इरफ़ान ख़ान,हर दिल की जान,एक अलग पहचान,एक अलग पहचान । ४…
माँ – कविता – वंदना जैन
“माँ” मैं हूँ हिस्सा तुम्हारा और रहूंगी सदा छाया तुम्हारी आज दूर हूँ तुमसे पर …





































