कूडे के ढेर में,
पाॅलीथीन में बंधी ,
सोचती हूॅ कि मै,
कि, सुरक्षित हूॅ।
मगर, सिर्फ धूप और पानी से।
या, तब तक , जब तक कि,
कोई जानवर मेरी गंध को
सूधंकर मुझे, नोच नहीं खाता।
फिर सोचती हूॅ कि,
यदि मै, ले लेती आकार
तो क्या,सुरक्षित रह पाती?
शायद नहीं,
पाकर मुझे अकेली,
सडक पर या कहीं और,
कोई दरिंदा मेरी देह को,
नोंच नहीं लेता?
अब सोचती हूॅ, कि क्या
लडकी केवल नोंच खाने के,
लिये ही है होती ?
लडकी की व्यथा कथा
Related Posts
फागुन – (कविता)
भूली बिसरी यादों केकचे पक्के रंगों सेलौटे अनकहे कुछ गीतों सेभरा पूरा फागुन!-->…
युवा का अब आगाज हो
युवा का अब आगाज हो युवा का अब आगाज हो,एक नया अन्दाज़ हो,सिंह की आवाज हो,हर!-->!-->!-->…
चुनावी मौसम
चुनावी मौसम चुनाव का मौसम आयाजन जन पर देखो छायाहोय सूट बूट या फटा पैजामासबका!-->!-->!-->…
ना तेरा कसूर है…ना मेरा कसूर – बृजेश यादव
ये जो मदहोशी सी छायी है, तेरे हुस्न का सब कसूर है। ये जो खोया खोया सा मैं रहता…
कोरोना में होली – कविता
कैसे खेलें हम ये रंग बिरंगी होलीजब दो गज दूर खड़ी हो हमजोलीलिए गुलाल हम गये!-->…
मन का शोर – शशिकांत सिंह
बिन पूछे सदा जो उड़ता ही चलेएक पल को भी कभी जो ना ढलेहै अटल ये टाले से भी ना!-->…
दीदार ए इश्क
दिल पहली बार था धड़कामैं देख के उसको भड़कादेखा था उसको शादी मेंवो लगे नहाई!-->…
ज़िन्दगी का गीत गुनगुनाते चलो
ज़िन्दगी का गीत गुनगुनाते चलोसफर को हमसफर बनाते चलो ।हर ग़म से भी बे'ग़म!-->…
एकांत – कविता
एकांत जाने कैसे लोग रहते हैं भीड़ में,हमें तो तन्हाई पसंद आई है । अकेले बैठ!-->!-->!-->!-->!-->…
सगी नहीं परायी ही सही
सगी नहीं परायी ही सही ,काश कोई मेरी भी बहन होती !! हर बात पर चिढ़ती, हर बात पर!-->!-->!-->…
अजय महिया छद्म रचनाएँ – 2
वो कहने लगे हम सुनने लगेकिसको पता था वो इतना कह देंगेअरे! हम तो तन्हाइयों की!-->…
अज़य महिया छद्म रचनाएँ – 17
जब तू आएगी फिर से मेरे दिल-ए-द्वार पर,कसम से दरवाज़े बंद मिलेंगे अज़य महिया !-->!-->!-->!-->!-->!-->…
अभिनव कुमार – छद्म रचनाएँ – 3
सीधी बातों को भी उल्टा आंका,गोले बारूदों से मुझको दागा,अपने अंदर बिल्कुल ना!-->…
दुनियादारी – (कविता)
उम्र के महल मे घूमती देह कोझुरियों की नजर लग गईमाथे की सिल्वटेंचिंता के!-->…
चार पंक्तिया
हमने चार पंख्तियाँ क्या लिख दीं लोगों ने कवि बना दिया भरे बजार में हाले-दिल का…
प्रेम बहे झरने सा तेरा
प्रेम बहे झरने सा तेरा || तन में सिहरन, सांसों में गतिमन भी व्याकुल,!-->!-->!-->…
भगत, राज, सुखदेव … जिस्म अलग, रूह मगर एक
भगत, राज, सुखदेव … जिस्म अलग, रूह मगर एक .. तेईस मार्च,को गिरी थी गाज,था भगत!-->!-->!-->…
ग़म-ए-शायरी
ग़म-ए-शायरी दिल-ए-दर्द को शब्दों मे बयां कर दूंगा आंखों के आंसूओं को पन्नों!-->!-->!-->…
जिद है अगर तो जीतोगे
जिद है अगर तो जीतोगे उठ तैयार हो फिर हर बार, जितनी बार भी तुम गिरोगे,!-->!-->!-->!-->!-->…
प्रेम है, बसंत हैं।
प्रेम है, बसंत हैं। राह तकती है पंखुड़ियांतितलियों कीजानती है वे बैठ बालियों!-->!-->!-->…