कविता

अजय महिया छद्म रचनाएँ – 7

रात भर जागकर तेरे एक कॉल का इंतज़ार करते हैं |
सारा दिन बैठ कर तुझे देखने को भी बेकरार रहते हैं ||
कहीं हो ना जाए दुनिया को मेरी मोहब्बत की खबर |
इसीलिए तेरे नाम को हम फोन के पासवर्ड पर रखते है ||

अजय महिया

वो याद में जगती रही ,हम जगते रहे रात में |
वो ख्वाबों आती रही,हम बैठे रह गए इंतज़ार में ||

अजय महिया

तुझे खुश करने में कई साल बीत गए |
ए-ज़िन्दगी,अब बता,तेरा क्या इरादा है ||

अजय महिया

ज़िन्दगी के विद्यालय मे कभी सीखते हैं ,कभी सिखाते हैं ।
कभी गुरु,कभी शिष्य बन जिन्दगी का पाठ पढते-पढाते हैं ।।

अजय महिया

राहगीरों पर यूं ना जुल्म ढाया करो,कोई जोगी रोगी बन जाएगा |
सर्दी में यूं ना नजरों से पिलाया करो, कोई बेमौत मारा जाएगा ||

अजय महिया

वो जो कहीं आँखमिचोली खेलता है मेरे साथ |
या तो वो मुझसे कहे या मुझसे दूर चला जाए ||

अजय महिया

जब तेरी गलियों से गुज़रता हूँ तो लोग इल्ज़ाम देते हैं मुझे|
उन्हें क्या खबर है कि हम उसे भूलाने के लिए पीते हैं तुझे ||

अजय महिया
मै लेखक अजय महिया मेरा जन्म 04 फरवरी 1992 को एक छोटे से गॅाव(उदासर बड़ा त नोहर. जिला हनुमानगढ़ राजस्थान) के किसान परिवार मे हुआ है मै अपने माता-पिता का नाम कविता व संगीत के माध्यम करना चाहता हूं मै अपनी अलग पहचान बनाना चाहता हूं

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