अपने पन की बगिया है ,खुशहाली का द्वार
जीवन भर की पूंजी है ,एक सुखी परिवार
खुशहाली वह दीप है यारों
हर कोई जलाना चाहता है
खुशहाली वह रंग है यार्रों
हर कोई रमना चाहता है
खुशहाली वह दौर था यारों कागज़ की नावें होती थीं
मिट्टी के घरौंदे थे ,छप्पर की दुकानें होती थी
कहीं सुनाई देती थी रामायण
कहीं रोज अजानें होती थी
खुशहाली को नजर लग गयी
अब मद सब पर छाया है
खुशहाली कहीं दब गई
इंसानों ने इसे रुलाया है
यह बदकिश्मती है खुशहाली की हर रोज दंगा होता है
गणतंत्र यहाँ चौराहों पर
रोज रोज ही रोता है
जो शासक है वो ईश्वर से
खुद की तुलना करते हैं
और नेता आज के दौर के बस गिरगिट सा रंग बदलते है
खुशहाली को कोई समझ न पाया यह दौलत से नहीं मिलती है
खुशहाली को नजर लग गई
अब वह रुदन करती है ||
खुशहाली
Related Posts
अज़य कीर्ति छद्म रचनाएँ – 16
मुझे किताबों ने क्या सीखाया और क्या सीखा रही हैं, मैं ब्यां नहीं कर सकता,यदि…
अज़य कीर्ति छद्म रचनाएँ – 17
दुनिया का सबसे अमीर आदमी झोपङी मे रहता हैं,महल में तो गरीब रहते हैं अज़य कीर्ति…
फागुन – (कविता)
भूली बिसरी यादों केकचे पक्के रंगों सेलौटे अनकहे कुछ गीतों सेभरा पूरा फागुन होकुछ…
क्यों जलाते हो मुझे
क्यों जलाते हो मुझे - ‘‘ कमी’ान’’ का रावण, ‘‘ कमी’ान खोरों’’ के हाथों जल गया।…
अजय कीर्ति छद्म रचनाएँ – 3
तेरी ज़ुल्फों का साया जो मिला होता मै इक पल वहां आराम से सोया होता लेखक अज़य…
ना तेरा कसूर है…ना मेरा कसूर – बृजेश यादव
ये जो मदहोशी सी छायी है, तेरे हुस्न का सब कसूर है। ये जो खोया खोया सा मैं रहता…
युवा का अब आगाज हो
युवा का अब आगाज हो युवा का अब आगाज हो,एक नया अन्दाज़ हो,सिंह की आवाज हो,हर युवा…
चार पंक्तिया
हमने चार पंख्तियाँ क्या लिख दीं लोगों ने कवि बना दिया भरे बजार में हाले-दिल का…
ज़िन्दगी तू ही बता तुझ पर, कैसे एतबार करूँ
ज़िन्दगी तू ही बता तुझ पर, कैसे एतबार करूँ।कोई तो वजह हो ऐसी, कि तुझसे प्यार…
एकांत – कविता
एकांत जाने कैसे लोग रहते हैं भीड़ में,हमें तो तन्हाई पसंद आई है । अकेले बैठ के…
राम राज्य – कविता अभिनव कुमार
राम राज्य,बजें ढोल नगाड़े,दुर्जन हैँ हारे,हैं राम सहारे । नस नस में राम,बसे हर कण…
मेरे पास सयाने मोदी हैं
मेरे पास सयाने मोदी हैं घुटनों पर तुझको ला दिया,अच्छे से तुझको झुका दिया,क्या…
समय का पहिया
समय का पहिया मानो तो मोती ,अनमोल है समय नहीं तो मिट्टी के मोल है समय कभी पाषाण…
मेरी प्यारी बेटी
मेरी प्यारी बेटीनन्हे -नन्हे पग रखकर,जब चलती गुड़िया प्यारी।मुस्कान तेरी ऐसी,कि…
जिद है अगर तो जीतोगे
जिद है अगर तो जीतोगे उठ तैयार हो फिर हर बार, जितनी बार भी तुम गिरोगे, जिद…
प्रेम एक स्वछंद धारा
प्रेम एक स्वछंद धारा एक प्रेम भरी दृष्टि और दो मीठे स्नेहिल…
अन्याय पे लगाम लगाएं …
अन्याय पे लगाम लगाएं … जब मैं रोता हूँ,तब तू हंसता है,मैं आंखें भिगोता हूँ,तू…
फ़र्क देखिए (1) बनाम (2) में ज़मीन आसमान का
फ़र्क देखिए (1) बनाम (2) में ज़मीन आसमान का :- (1) "चलो आज मुस्कुराते…
इरफ़ान ख़ान, हर दिल की जान
इरफ़ान ख़ान, हर दिल की जान इरफ़ान ख़ान,हर दिल की जान,एक अलग पहचान,एक अलग पहचान । ४…
किंकर्तव्यविमूढ़ – कविता- ईश शाह
जब मैं कुछ नहीं करता हूँतब मुझे दोषी करार दिया जाता है।जब कुछ करूँ तो फिर मेरा…