कविता

रावण – छद्म रचनाये – अभिनव कुमार

काश कि कुछ ऐसा हो जाए,
रावण को सद्बुद्धि आ जाए,
ख़ुद भी जिए, जीने दे दूजा,
ज्ञान को सही दिशा चलाए l

अभिनव कुमार

रावण को जलाने वालों,
तुम क्यों रावण बन गए?
अब तो ज़िद छोड़दो अपनी,
अच्छे अच्छे बदल गए l

अभिनव कुमार
अभिनव कुमार एक साधारण छवि वाले व्यक्ति हैं । वे विधायी कानून में स्नातक हैं और कंपनी सचिव हैं । अपने व्यस्त जीवन में से कुछ समय निकालकर उन्हें कविताएं लिखने का शौक है या यूं कहें कि जुनून सा है ! सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वे इससे तनाव मुक्त महसूस करते…

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