कविता

विकल्प – कविता (वन्दना जैन)

विकल्प
अब क्या विकल्प है
स्वयं से संकल्प है
अंधेरों को विराम दूँ
चाॅद को सलाम दूँ
या तारों को लगाम दूँ
जीवन तो अल्प है
आशा ही कल्प है
अब क्या विकल्प है
जो दिखे सत्य है
छुपा हुआ कृत्य है
तन की फैली बाहें हैं
मन की सिकुड़ी राहें हैं
रिश्तों मे भेद है
हर थाली मे छेद है
सत्य से अज्ञान हैं
झूठ को अभिमान है
अब क्या विकल्प है

वंदना जैन मुंबई निवासी एक उभरती हुई लेखिका हैं | जीवन दर्शन,सामाजिक दर्शन और श्रृंगार पर कविताएं लिखना इन्हे बहुत पसंद है | समय-समय पर इनकी कविताएं कई अख़बारों और पत्रिकाओं में छपती  रही हैं | इनका स्वयं का काव्य संकलन "कलम वंदन" भी प्रकाशित हो…

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