विकल्प
अब क्या विकल्प है
स्वयं से संकल्प है
अंधेरों को विराम दूँ
चाॅद को सलाम दूँ
या तारों को लगाम दूँ
जीवन तो अल्प है
आशा ही कल्प है
अब क्या विकल्प है
जो दिखे सत्य है
छुपा हुआ कृत्य है
तन की फैली बाहें हैं
मन की सिकुड़ी राहें हैं
रिश्तों मे भेद है
हर थाली मे छेद है
सत्य से अज्ञान हैं
झूठ को अभिमान है
अब क्या विकल्प है
विकल्प – कविता (वन्दना जैन)
Related Posts
अजय कीर्ति छद्म रचनाएँ – 6
अल्फ़ाज़ तो महज़ एक हवा का झोंका हैहमने तो बेवक्त भी जग को बदलते देखा है अजय…
ना तेरा कसूर है…ना मेरा कसूर – बृजेश यादव
ये जो मदहोशी सी छायी है, तेरे हुस्न का सब कसूर है। ये जो खोया खोया सा मैं रहता…
युवा का अब आगाज हो
युवा का अब आगाज हो युवा का अब आगाज हो,एक नया अन्दाज़ हो,सिंह की आवाज हो,हर युवा…
तेरे शहर की हवाओं का रूख देखा है हमने
तेरे शहर की हवाओं का रूख देखा है हमनेहर गली-मौहल्ले की दिवारों को सुना है हमने…
कविता -मै लक्ष्मी दो आँगन की
कविता -मै लक्ष्मी दो आँगन की बेटी बन आई हूं मै जिस आशियाने के आँगन में ।बसेरा…
चार पंक्तिया
हमने चार पंख्तियाँ क्या लिख दीं लोगों ने कवि बना दिया भरे बजार में हाले-दिल का…
एकांत – कविता
एकांत जाने कैसे लोग रहते हैं भीड़ में,हमें तो तन्हाई पसंद आई है । अकेले बैठ के…
कोरोना में होली – कविता
कैसे खेलें हम ये रंग बिरंगी होलीजब दो गज दूर खड़ी हो हमजोलीलिए गुलाल हम गये छुने…
कलम – (कविता) अभिनव कुमार
कलम ✍🏻 छोटी बहुत ये दिखती है, प्रबल मग़र ये लिखती है,बड़ों बड़ों को…
जिद है अगर तो जीतोगे
जिद है अगर तो जीतोगे उठ तैयार हो फिर हर बार, जितनी बार भी तुम गिरोगे, जिद…
अज़य कीर्ति छद्म रचनाएँ – 18
मनुष्य को फूलों के विकास पर ध्यान देना चाहिए फल तो अपने आप लग जाएंगे| अज़य महिया…
भगत, राज, सुखदेव … जिस्म अलग, रूह मगर एक
भगत, राज, सुखदेव … जिस्म अलग, रूह मगर एक .. तेईस मार्च,को गिरी थी गाज,था भगत को…
फागुन – (कविता)
भूली बिसरी यादों केकचे पक्के रंगों सेलौटे अनकहे कुछ गीतों सेभरा पूरा फागुन होकुछ…
विश्व पुस्तक दिवस – संदीप कुमार
आज विश्व पुस्तक दिवस के अवसर पर कुछ पंक्तियां पेश हैं, गौर फरमाएं। आज बहुत याद…
मजदूरों की कहानी।।
एक मजदूर की ज़िन्दगी, कुछ शब्दों में सुनानी है। ध्यान से पढ़ना, ये एक मजदूर की…
जीवन – कविता
जीवनरोने से क्या हासिल होगाजीवन ढलती शाम नहीं हैदर्द उसी तन को डसता हैमन जिसका…
अज़य कीर्ति छद्म रचनाएँ – 17
दुनिया का सबसे अमीर आदमी झोपङी मे रहता हैं,महल में तो गरीब रहते हैं अज़य महिया…
फायदा ही क्या है
बे'वजह ,असमय बोलने मे तेरा फायदा ही क्या है, अपनी कमजोरियों को दिखाने से…
आऊंगा जरूर – अज़य कीर्ति
तुम्हे मिलने मै आऊंगा जरूरकभी राम बनकरकभी कृष्ण बनकरकभी सीता बनकरकभी राधा…
राम राज्य – कविता अभिनव कुमार
राम राज्य,बजें ढोल नगाड़े,दुर्जन हैँ हारे,हैं राम सहारे । नस नस में राम,बसे हर कण…