तुम जान लो,
मैं जानती हूं
ये बातों की लड़ी
जो स्वाभाविक आज
मेरी जीवन की
शैली हो गई है,
यह आदत एक रोज़
हवा में घुल
पिघल जाएगी
और, पीछे रह जाएगी
मेरी पीड़ा,
तुम बिन मिले
विरह मिल जाएगा मुझे।
~शिल्पी
तुम जान लो,
मैं जानती हूं
ये बातों की लड़ी
जो स्वाभाविक आज
मेरी जीवन की
शैली हो गई है,
यह आदत एक रोज़
हवा में घुल
पिघल जाएगी
और, पीछे रह जाएगी
मेरी पीड़ा,
तुम बिन मिले
विरह मिल जाएगा मुझे।
~शिल्पी
परमवीर चक्र …वीरों का पर्व … परमवीर चक्र,जब होता ज़िक्र,सिर शान से ऊंचा,होता!-->!-->!-->…
युवा का अब आगाज हो युवा का अब आगाज हो,एक नया अन्दाज़ हो,सिंह की आवाज हो,हर!-->!-->!-->…
लडकी की व्यथा कथा- कूडे के ढेर में, पाॅलीथीन में बंधी ,
बिन पूछे सदा जो उड़ता ही चलेएक पल को भी कभी जो ना ढलेहै अटल ये टाले से भी ना!-->…
काश तू कभी मिली ना होती तो अच्छा होता दोस्तों के बहकावे मे ना आया होता तो!-->!-->!-->…
|| कृष्ण चरित्र माला || कुशल राजनीतिज्ञ,सब ही कृतज्ञ । कूटनीति में!-->!-->!-->!-->!-->…
राम राज्य,बजें ढोल नगाड़े,दुर्जन हैँ हारे,हैं राम सहारे । नस नस में राम,बसे हर!-->!-->!-->…
उम्र के महल मे घूमती देह कोझुरियों की नजर लग गईमाथे की सिल्वटेंचिंता के!-->…
ये जो मदहोशी सी छायी है, तेरे हुस्न का सब कसूर है। ये जो खोया खोया सा मैं रहता…
एकांत जाने कैसे लोग रहते हैं भीड़ में,हमें तो तन्हाई पसंद आई है । अकेले बैठ!-->!-->!-->!-->!-->…
कलम ✍🏻 छोटी बहुत ये दिखती है, प्रबल मग़र ये लिखती है,बड़ों बड़ों!-->!-->!-->…
शायर की कलम हकीकत निकलती है मेरी कलम सेसियासत के आगे भी ये झुक नहीं सकती!-->!-->!-->…
भूली बिसरी यादों केकचे पक्के रंगों सेलौटे अनकहे कुछ गीतों सेभरा पूरा फागुन!-->…
मैं एक हिन्दू हूँ, मैं एक हिन्दू हूँ,रावी हूँ और सिंधू हूँ,महत्वपूर्ण एक!-->!-->!-->…
जीवनरोने से क्या हासिल होगाजीवन ढलती शाम नहीं हैदर्द उसी तन को डसता हैमन जिसका!-->…
रात भर जागकर तेरे एक कॉल का इंतज़ार करते हैं |सारा दिन बैठ कर तुझे देखने को भी!-->!-->…
क्यों जलाते हो मुझे - ‘‘ कमी’ान’’ का रावण, ‘‘ कमी’ान खोरों’’ के हाथों जल गया।…
यूँ मांगिये मत,देने की चाह रखिए।यूँ दीजिये मत,दान सहित, रईस दिल का इम्तिहान!-->…
बन जाऊं मैं काश …. जैसे योगी कुमार विश्वास … बन जाऊं मैं काश,जैसे योगी कुमार!-->!-->!-->…
ग़म-ए-शायरी दिल-ए-दर्द को शब्दों मे बयां कर दूंगा आंखों के आंसूओं को पन्नों!-->!-->!-->…
किसी में गर दिखे कमी,तो उसको समझाइए,यदि सब में दिखे कमी,तो ख़ुद पर तरस खाइए । अभिनव!-->!-->!-->…
कैसे तारीफ करूं तेरी इन आँखो कीमोहब्बत-ए-नशा तो दिल ने देखा है अज़य महिया रात जरा-सी!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
जब से तुमने रात में जागना शुरू कियातेरी कसम ! चांद भी तेरा दिदार करने लगा है || अज़य!-->!-->!-->…
ये हाड़-मांस की कैसी भूख ये हाड़-मांस की कैसी भूख !मृग-तृष्णा ये, दूर का सुख,मत कर इसका!-->!-->!-->…
दिल पहली बार था धड़कामैं देख के उसको भड़कादेखा था उसको शादी मेंवो लगे नहाई चांदी में !-->!-->!-->…
तेरी ज़िन्दगी का हर मोङ सुकुन से भरा होगा |मै नहीं तो कोई और तो तुझ पर मरा होगा | अज़य!-->!-->!-->…
मनोरोगी,मैं हूं ढोंगी,और हूं वाहियात,मैं केवल भोगी । अभिनव कुमार सारी कमियां मेरे!-->!-->!-->!-->!-->!-->…
नज़र उठाकर देखा जिसे,वो हुस्न वाले बङे महफ़ूज़ निकले |क्या सुनें उनकी अदाओं की!-->!-->…
लगी है दिल की तुमसे ,मैं तुम्हे ये बात कैसे बताऊं |कभी याद,कभी ख्वाब सब आते हैं पर!-->!-->…
दारू पर टिकी अर्थव्यवस्था जिसके घर आना शुरू हुई ,उस घर की खुशियां चली गई। दारू वाले!-->!-->!-->!-->!-->…
तेरी आँखो की मदहोशियां,जु़ल्फों के तराने, मुझे पल भर रोने नहीं देते हैं |दिन तो!-->!-->…
मेरी प्यारी बेटीनन्हे -नन्हे पग रखकर,जब चलती गुड़िया प्यारी।मुस्कान तेरी ऐसी,कि मैं!-->…
Welcome, Login to your account.
Welcome, Create your new account
A password will be e-mailed to you.