सुंदरता दिल से होती है
दिल सुंदर तो सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड भी
सुंदर दिखाई देता है
दिमाग का केंद्र बिंदु
बाहरी सुंदरता पर टिका होता है
वह नापता रहता है
देह की लंबाई,परिधि
उभारों मे
और उलझा रहता है
अपनी गणित के
प्रमेय और कठिन सवालों मे…
नहीं परख पाता वह
भीतरी सुंदरता को..
सुंदरता दिल से होती है
Related Posts
ना तेरा कसूर है…ना मेरा कसूर – बृजेश यादव
ये जो मदहोशी सी छायी है, तेरे हुस्न का सब कसूर है। ये जो खोया खोया सा मैं रहता…
युवा का अब आगाज हो
युवा का अब आगाज हो युवा का अब आगाज हो,एक नया अन्दाज़ हो,सिंह की आवाज हो,हर युवा…
दहलीज़ – कविता – शिल्पी प्रसाद
कुछ किताबें उन मांओं पर लिखी जानी चाहिए,जिनके दिन चुल्हें के धुएं की धुंध बनकर…
MeriRai.com पर कविता
‘मेरी राय’ नया दिन, नई गाथाएँ,हर दिल समेटे असीम कथाएँ,सोचे – किसको वो सुनाए…
अज़य कीर्ति छद्म रचनाएँ – 18
मनुष्य को फूलों के विकास पर ध्यान देना चाहिए फल तो अपने आप लग जाएंगे| अज़य…
रोहित सरदाना – अश्रुपूर्ण भावभीनी श्रद्धांजलि अभिनव
रोहित सरदाना,शख़्स जाना माना,कहीं चला गया,पता नहीं कहां ! था बड़ा सटीक,छवि बेहद…
माँ – कविता – वंदना जैन
“माँ” मैं हूँ हिस्सा तुम्हारा और रहूंगी सदा छाया तुम्हारी आज दूर हूँ तुमसे पर …
मुझको उम्मीद…
मुझको उम्मीद… संकट की घड़ी,है आन पड़ी । है वक़्त विकट,है डर, दहशत । तू जीतेगा,गम…
राम राज्य – कविता अभिनव कुमार
राम राज्य,बजें ढोल नगाड़े,दुर्जन हैँ हारे,हैं राम सहारे । नस नस में राम,बसे हर कण…
अभिनव कुमार – छद्म रचनाएँ – 12
उत्तम कितने भी हों विचार,सार्थक तभी जब दिखे प्रभाव,झलक दिखे गर आचरण में तो,कथनी…
पन्द्रह अगस्त की उस गाथा को, हम यूं ही नहीं गाते हैं।।
बहुत कठिन था वो दौर,जिसको आज हम याद करते हैं ।पन्द्रह अगस्त की उस गाथा को,हम…
चार पंक्तिया
हमने चार पंख्तियाँ क्या लिख दीं लोगों ने कवि बना दिया भरे बजार में हाले-दिल का…
मेरे पास सयाने मोदी हैं
मेरे पास सयाने मोदी हैं घुटनों पर तुझको ला दिया,अच्छे से तुझको झुका दिया,क्या…
[कविता] मैंने बहुत याद किया – बृजेश यादव
एक प्रेमी युगल की काफी दिन के बाद बात हुई...तो प्रेमिका ने प्रेमी से पूछा क्या…
दुनियादारी – (कविता)
उम्र के महल मे घूमती देह कोझुरियों की नजर लग गईमाथे की सिल्वटेंचिंता के सिलबट्टे…
अज़य कीर्ति छद्म रचनाएँ – 15
सत् का वरण जरूरी हैकल न हो,किसी सीता का हरणकल न जन्मे कोई रावणबुराई का मरण जरूरी…
सगी नहीं परायी ही सही
सगी नहीं परायी ही सही ,काश कोई मेरी भी बहन होती !! हर बात पर चिढ़ती, हर बात पर…
भगत, राज, सुखदेव … जिस्म अलग, रूह मगर एक
भगत, राज, सुखदेव … जिस्म अलग, रूह मगर एक .. तेईस मार्च,को गिरी थी गाज,था भगत को…
मैं नहाया नहीं पिछले रविवार से
मैं नहाया नहीं पिछले रविवार से भिं भिना कर उड़ गई है मक्खी मेरे कान सेहूं नहाया…
ज़िन्दगी तू ही बता तुझ पर, कैसे एतबार करूँ
ज़िन्दगी तू ही बता तुझ पर, कैसे एतबार करूँ।कोई तो वजह हो ऐसी, कि तुझसे प्यार…