रावण – छद्म रचनाये – अभिनव कुमार
काश कि कुछ ऐसा हो जाए,रावण को सद्बुद्धि आ जाए,ख़ुद भी जिए, जीने दे दूजा,ज्ञान को सही दिशा चलाए!-->!-->!-->…
काश कि कुछ ऐसा हो जाए,रावण को सद्बुद्धि आ जाए,ख़ुद भी जिए, जीने दे दूजा,ज्ञान को सही दिशा चलाए!-->!-->!-->…
चलो कुछ बातें करते हैं चलो कुछ बातें करते हैं….चलो कुछ बातें करते हैं…. छोटी सी दुनिया, ख्वाब!-->!-->!-->!-->!-->…
सनम बताओ ना !! मैं खुद को अलग नहीं समझता तुम सेतुम समझती हो ऐसा.. तो बताओ नालगता है कि सदियों से!-->!-->!-->…
मैं तेरा ही हूँ मगर,तेरा हो सकता नहीं !! हाथ मेहंदी का था, जब मेरे हाथ में,नजर झुकी थी मगर, कोई!-->!-->!-->…
जब मैं कुछ नहीं करता हूँतब मुझे दोषी करार दिया जाता है।जब कुछ करूँ तो फिर मेरा क्या हश्र होगा?मैं!-->…
लंबा सफ़र तय किया है जो,आज उसे अंजाम देना है,कई आशाएँ जुड़ी है हमसे,बस अब विराम देना है।अक्षी!-->…
किताबें बोलती है सुना है मैने किताबें है बोलती हैंसबको राह दिखाती हैहर एक विषय में बतलाती है,मीठी!-->!-->!-->…
आवाहन :( निर्गुण) ठाढ़ी झरबेरिया वन में होत मिन सार बा कैसे जाऊँ पार पियरा नदिया के पार!-->!-->!-->!-->!-->…
वो चंद पल बदल बैठे मेरे ईमान का चेहराखड़े थे साथ सब अपने मगर था धुंध का पहराहटा जब वो समा कातिल हुआ!-->…
वो नाराज़ हैं! मैंने खुद ही खुदको तोड़करअपने रास्ते में कांटे बिछाए हैं,मुझे गिला नहीं है गैरों!-->!-->!-->…
कविता -मै लक्ष्मी दो आँगन की बेटी बन आई हूं मै जिस आशियाने के आँगन में ।बसेरा होगा कल किसी और!-->!-->!-->…
जीवन या कहर ये काली घटा कांटों का महलये जीवन है या कोई कहरटूटा है बनके पहरा यूंजैसे पी लिया हो!-->!-->!-->…
नूर का लुत्फ़ उठा रहा राही,कहीं उसका आदी न हो जाए,चंचल किरने कर रही सामना,कहीं वक़्त से मुलाक़ात न!-->…
युद्ध हो रहा है सूरत-ए-हाल दुनिया का ये क्या हो रहा है लौमड़ भर रहा तिजोरी और जोकर रो रहा है !-->!-->!-->…
रवि शब्दों से रचा हुआ खेल कभी,कहाँ किसिको समझ में आया हैं,दूर से सब देख रहा वो,पर कभी क्या समझाने!-->!-->!-->…
कलमशब्द कम पड़ जाते हैंजब प्रेम उमड़ता है ढेर साराप्रियतम तक पहुचना चाह्ती है कलम दिल के हर जज्बात !-->…
भिन्न भिन्न चेहरे अलग-अलग रंग औरअलग-अलग रूप के बहार से नहीं अंदर के ये चेहरे !-->!-->!-->!-->!-->…
प्रेम एक स्वछंद धारा एक प्रेम भरी दृष्टि और दो मीठे स्नेहिल बोलों से बना सम्पूर्ण!-->!-->!-->…
“माँ” मैं हूँ हिस्सा तुम्हारा और रहूंगी सदा छाया तुम्हारी आज दूर हूँ तुमसे पर हर पल मन में है छवि!-->…
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