कविता

कैसे कह दूं कि तुम नहीं मेरे हो !

कैसे कह दूं कि तुम नहीं मेरे हो ! …

कैसे कह दूं कि तुम नहीं मेरे हो !
तुम मेरे नहीं, पर मेरे हो,
ज़रूरी नहीं कि बन्धन हों, फ़ेरे हों,
तन जुदा हैं, पर मन में तो ठहरे हो,
रूहें तृप्त जब रिश्ते गहरे हों ।

अभिनव कुमार एक साधारण छवि वाले व्यक्ति हैं । वे विधायी कानून में स्नातक हैं और कंपनी सचिव हैं । अपने व्यस्त जीवन में से कुछ समय निकालकर उन्हें कविताएं लिखने का शौक है या यूं कहें कि जुनून सा है ! सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वे इससे तनाव मुक्त महसूस करते…

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