कवितादेशख़ास

लॉक डाउन २.०

लॉक डाउन २.०

चौदह अप्रैल दो हज़ार बीस,
माननीय प्रधान मंत्री जी की स्पीच ।

देश के नाम संबोधन,
पहुंचा हर जन तक ।

कई बड़ी और अहम बातें,
क्या क्या कहा, हम हैं बताते !

उनकी बातों को संजोया,
माला में है पिरोया ।

ज़रा कीजिए ध्यान,
रचना व्याख्यान ।

कविता रही आपको ललकार,
आपके धैर्य का इम्तिहान ।

लंबी है पर है रोचक,
संबोधक संकटमोचक ।

उनकी कहानी,
इस नाचीज़ की ज़ुबानी ।

“नमस्ते, मेरे प्यारे देशवासियों,
कस्बों, शहरों और वादियों ।

कोरोना के ख़िलाफ़,
एकजुट मैं और आप ।

हमारा युद्ध,
इस महामारी के विरुद्ध ।

हो इसका नाश,
भरसक प्रयास ।

हम हुए मजबूत,
सब हैं जागरुक ।

कदम से कदम,
अब मिला रहे हम ।

आप सब की तपस्या,
काफ़ी हद तक सफ़लता ।

आपका ही त्याग,
नुक़सान रहे टाल ।

सहे आपने कष्ट,
बने देशभक्त ।

आई कितनी दिक्कतें,
फ़िर भी आप डटे रहे ।

देश की खातिर,
आप बन गए सैनिक ।

निभाए कर्तव्य,
हिन्द सर्वप्रिय ।

आप सबको नमन,
आभार हर जन ।

सच्ची श्रद्धांजलि,
बाबा साहब को अंजलि ।

उनका जन्मोत्सव,
गरिमा और गर्व ।

हमारा संविधान,
आन, बान और शान ।

‘वी द पीपल ऑफ इंडिया’,
नृत्य, भांगडा व डांडिया ।

संस्कृतियों का मिलन,
अधिकार दायित्व का संतुलन ।

शक्ति स्वाभिमान,
हमारा संविधान ।

सामूहिक ताकत,
अम्बेडकर जी की बदौलत ।

यह संकल्प,
संयम से सब ।

चुनौती स्वीकार,
परिश्रम आधार ।

दे निरंतर प्रेरणा,
आगे बस चलना ।

त्योहारों का मौसम,
सादगी का संगम ।

उत्सवों से भरा,
भारत हरा भरा ।

बंधन बावजूद,
अनुशासन वजूद ।

नियमों का पालन,
प्रशंसनीय उदाहरण ।

घर में रहकर,
दिल में कर गए घर ।

हर परिवार की फ़िक्र,
मंगलकामना का ज़िक्र ।

स्थिति को भांप,
भारत पहले गया था जाग ।

उठाए अहम कदम,
अर्थव्यवस्था चाहे गई थम ।

पहले जान,
फिर जहान ।

विश्व का हश्र,
जानकार हर कोई शख़्स ।

अन्य देशों से बेअसर,
हिंदी ने पहले कसी कमर ।

संक्रमण की घुटे सांस,
रोकथाम के अथक प्रयास ।

आप इसके सहभागी,
सहायक और साक्षी ।

थी पहले से तैयारी,
स्क्रीनिंग अतिशीघ्र की थी जारी ।

विदेश से आने वाले,
आइसोलनेशन अनिवार्य ।

ठोस निर्णय लिए तेज़ तर्रार,
समस्या बढ़ने का ना किया इंतजार ।

दूसरे देशों से उचित नहीं तुलना,
यह ऐसा संकट दूर रहकर पिघलना ।

फिर भी कुछ सच्चाइयां स्वीकार,
नहीं सकते हम उन्हें नकार ।

दुनिया के सामर्थ्यवान देश,
हाथ जोड़ सुनें हिन्द संदेश ।

संभली स्थिति में है अभी भारत,
नींव है पक्की, मज़बूत इमारत ।

होस्लिटिक व इंटीग्रेटेड अप्रोच,
हिन्द की शुरू से यही रही सोच ।

ये पद्धति गर ना अपनाई होती,
हमारी हालत फ़िर दयनीय होती ।

कल्पना ना कर सकते उसे,
रोंगटे सोचकर हो जाते खड़े ।

बीते दिनों का यही अनुभव,
चल रहे जिसपर, सही चुना पथ ।

सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन,
मिला बड़ा लाभ, इसमें नहीं डाउट ।

आर्थिक दृष्टि से ज़रूर ये महंगा,
जीवन मूल्य से पर नहीं मुकाबला ।

माना बड़ी कीमत चुका रहा हिन्द,
ज़िन्दगी से बढ़कर पर नहीं कोई चीज़ ।

सीमित संसाधन संग चले जिस मार्ग,
बने विश्व गुरु, हम बनें हैं पार्थ ।

राज्य सरकारें व स्थानीय निकाय,
ज़िम्मेदारी से कर रहे कार्य ।

बख़ूबी निभा रहे ये उत्तरदायित्व,
आपसी तालमेल ज़ोरदार घनत्व ।

हालात को है सबने संभाला,
बने सतर्क, दूरी ही सहारा ।

जिस स्तर पर रहा विषाणु फ़ैल,
सावधानी ही बस सकती झेल ।

बीच राह में ना हो युद्ध विराम,
चिंतन विवेक से लेना काम ।

सबका यही आया सुझाव,
ना लगाओ दांव पे अभी जान ।

थोड़ा और संघर्ष, तप व संयम,
थोड़ा और ठहराव, वश में हो मन ।

ध्यान रखते हुए परामर्श,
लॉकडाउन बढ़ेगा ३ मई तक ।

ख़तरा अभी नहीं टला,
इसलिए अवधि बढ़ाने का फैसला ।

ग़रीब पे होगा पूरा ध्यान,
ना रहेगा भूखा, मिले भरपेट अन्न ।

राज्य सरकारों से हुई निरंतर चर्चा,
लॉकडाउन २.० के वास्ते सुदृढ योजना ।

कोरोना के खिलाफ लड़ाई,
आगे बढ़ेंगे, होंगे विजयी ।

लोगों की होंगी दिक्कतें कम,
विचार विमर्श की कर रहे हम ।

कम जानमाल का हो नुक़सान,
जी जान से हो रहे प्रयास ।

नए हॉट स्पॉट ना बनें,
चौकन्ना रहना होगा हमें ।

अनुशासन का करना होगा पालन,
और सख़्ती, कुछ और नियंत्रण ।

सबसे मेरी यही है प्रार्थना,
किसी कीमत पर नहीं ये फैलना ।

इसकी रोकथाम प्रथम काम,
करना है इसका काम तमाम ।

स्थानीय स्तर पर एक भी मरीज बड़े,
हमारे लिए ये फ़िर चिंता का विषय।

पहले से बहुत ज्यादा सतर्कता,
रहने ना देंगे इसकी सत्ता ।

हॉटस्पॉट में बदलने वाले ज़िले,
कड़ी नजर व कठोर फ़ैसले ।

नए हॉटस्पॉट से पैदा नए संकट,
हमारी तपस्या को चुनौती बिन डर ।

और कठोर अगला सप्ताह,
कांटों वाली क्योंकि राह ।

20 अप्रैल तक हर कस्बा ज़िला,
हर थाना बारीकी से जाए परखा देखा ।

वहां लॉकडाउन का कितना पालन,
कितना बचाव, होगा मूल्याकंन ।

जो क्षेत्र इस अग्निपरीक्षा में सफल,
20 अप्रैल से जाए वहां रियायत मिल ।

जरूरी गतिविधियों की वहां मिलेगी छूट,
अनुमति सशर्त ना जाएं वो भूल ।

बाहर निकलने के लिए नियम बहुत सख़्त,
निभाओ दायित्व, बन जाओ देशभक्त ।

लॉकडाउन के गर टूटते नियम,
सारी अनुमित वापस, ना कुछ कायम ।

लापरवाही ना ख़ुद करे,
दूजा करे तो उसे वहीं धरें ।

इस बारे में सरकार साफ़ या रिफाइन,
जल्द आएगी वृस्तृत गाइडलाइन ।

20 अप्रैल से चिन्हित क्षेत्र में सीमित छूट,
ये प्रावधान वास्ते गरीबों की रोजी व भूख ।

उनकी आजीविका को रखते हुए ध्यान,
संवेदनशील फ़ैसला बिन कोई व्यवधान ।

वे रोज कमाते हैं, रोज़ हैं खाते,
हिन्द विकास में अहम भूमिका निभाते ।

मेरा यही सर्वोच्च केंद्र बिंदु,
उनकी मुश्किलें कुछ कम करूं ।

पीएम गरीब कल्याण योजना,
मदद का हर संभव प्रयास किया ।

नई गाइडलाइन बनाते समय,
उनके हित पूरे ध्यान रखे।

रबी फसल कटाई का ये वक़्त,
प्रयास कि किसानों को हो कम दिक्कत ।

राशन से दवा तक पर्याप्त भंडार,
विश्वास करें, हैं काबू में हालात ।

सप्लाई चेन की जो बाधाएं,
दूर शीघ्र, ये हैं आशाएं ।

हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर के मोर्चे पर,
हम तेजी से हो रहे हैं अग्रसर ।

देश में हैं अब,
220 से ज्यादा लैब ।

भरपूर मात्रा में हैं अस्पताल,
समग्र बिस्तर, वैद्य व कुशल इलाज ।

इन सुविधाओं को देके प्राथमिकता,
और तेजी से बढ़ाया जा रहा ।

आज भारत के पास भले सीमित संसाधन,
मेरा वैज्ञानिकों से आग्रह व नमन ।

विश्व कल्याण के लिए आगे आएं,
वैक्सीन बनाने का बीड़ा उठाएं।

सात बातों में मांग रहा हूं साथ,
रखें धैर्य, काबू में जज़्बात ।

करें नियमों का पालन,
तभी बचेगा जीवन ।

रहेंगे कोरोना को हम हराकर,
दम लेंगे उसको तो भगाकर ।

गौर करें मेरी पहली बात,
रखें बुजुर्गों का विशेष ध्यान ।

दूसरी बात पे रहें कायम,
सोशल डिस्टेंसिंग का हरदम पालन ।

घर में बने फेस कवर या मास्क,
उपयोग अनिवार्य, ना मुश्किल टास्क ।

तीसरी बात ये कि बड़ाएं इम्यूनिटी,
आय़ुष मंत्रालय निर्देशों की हो स्वीकृति ।

काढ़ा आदि का करें सेवन,
निरंतर पिएं कोसा जल ।

चौथी बात करें ऐप डाउनलोड,
आरोग्य सेतू पे हो अब ज़ोर ।

ख़ुद करें इंस्टॉल, औरों को भी कराएं,
ये ऐप संक्रमण की जानकारी बताए ।

संक्रमण फ़ैलाव में बने ये बाधा,
संक्रमण आसपास तो करे ये आगाह ।

पांचवीं बात से करें कर्म नेक,
ग़रीब परिवार की करें देखरेख ।

जितना हो सके करें उनकी मदद,
उनको खिलाएं भरपेट भोजन । 

छठी बात है उद्योग व्यवसाय,
देते रहें कर्मचारियों को आय ।

नौकरी से उन्हें ना निकालें,
संवेदना रखें, पुण्य कमालें ।

सातवीं बात चाहे आखिरी बात,
इसमें छुपे सारे जज़्बात ।

कोरोना योद्धाओं का करें सम्मान,
डॉक्टर, नर्स, स्वास्थ्यकर्मी महान ।

पुलिसकर्मी भी अहम सिपाही,
उनके बिन अधूरी ये लड़ाई ।

ये सब हैं इस देश के रक्षक,
इनको बिठाएं सिर आंख पर ।

करें इनका आदर सत्कार,
इनसे ही खुलें, बंद जो द्वार ।

इन बातों में मांगूं निष्ठूर साथ,
विजय पाने का केवल यही है मार्ग ।

जहां है वहीं रहें,
सुरश्रित रहें, संयमित रहें ।

राष्ट्र को बनाएंगे जीवंत,
जागरूक और ज्वलंत ।

इसी के साथ देता हूं विराम,
अपनी वाणी को देता हूं ठहराव ।

आपके परिवार की मंगलकामना,
उत्तम स्वास्थ्य की मनोकामना ।”

स्वरचित – अभिनव ✍🏻

अभिनव कुमार एक साधारण छवि वाले व्यक्ति हैं । वे विधायी कानून में स्नातक हैं और कंपनी सचिव हैं । अपने व्यस्त जीवन में से कुछ समय निकालकर उन्हें कविताएं लिखने का शौक है या यूं कहें कि जुनून सा है ! सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वे इससे तनाव मुक्त महसूस करते…

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