कवितादेश

ये ५६ इंच का सीना है

ये ५६ इंच का सीना है

ये ५६ इंच का सीना है, कोई ऐसी वैसी ढाल नहीं…
ये मोदी जी का पसीना है, मेहनत की उनकी मिसाल नहीं…

दुखियों से दुख को छीना है, दिल साफ है बिल्कुल चाल नहीं…
ये हिन्द देश का नगीना हैं, इनके बिन गलती दाल नहीं ।

जो कहते हैं वो करते हैं, इनका ना कोई सानी है…
गद्दारों से ना डरते हैं, इनकी तो अजब कहानी है…

नियमों के लिए हरदम लड़ते है, पूरी दुनिया इनकी दीवानी है…
अपने दम पे ये आगे बढ़ते हैं, जो सोची करके ठानी है ।

जितना इनका गुणगान करूं, उतना ही कम मुझे लगता है…
इनका मैं हरपल ध्यान करूं, की इनसे उजाला जगता है…

मै गीता पढूं या कुरान पढूं, अब ना तम मुझको ठगता है…
दिल से मैं सम्मान करूं, कि छवि में इनकी सजगता है ।

पंचवर्षीय योजना ना बनाते हैं, क्योंकि इनको कुछ करना है…
बस कर्म करे चले जाते हैं, ना कि बैठो जी धरना है…

ये ना कभी किसीको जताते हैं, कोशिश है पाप को हरना है…
ये सबके मन को भाते हैं, इनके बिन देश ना चलना है 🙏🏻

स्वरचित – अभिनव ✍🏻
उभरता कवि आपका “अभी”

अभिनव कुमार एक साधारण छवि वाले व्यक्ति हैं । वे विधायी कानून में स्नातक हैं और कंपनी सचिव हैं । अपने व्यस्त जीवन में से कुछ समय निकालकर उन्हें कविताएं लिखने का शौक है या यूं कहें कि जुनून सा है ! सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वे इससे तनाव मुक्त महसूस करते…

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