कविता

बेमतलबी बचपन

बेमतलबी बचपन

बातें थी,
बेमतलब, बेख़ौफ़
बेवजह, बकवास।

बचपन था,
बेसब्र, अल्हड़
हैरान-परेशान, मासूम।

दोस्ती थी,
सुकून, शरारती
बगावती, मनमौजी।

सोचती हूं, आज बचा है क्या है
बस, छुटपन की कुछ यादें
आम का पेड़, कैरी
गपशप वाला टूटा-जर्जर अड्डा,
और भीड़ में गुम,
इधर मैं, उधर तुम।

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